
सपनों की दुनिया बहुत ही अनोखी होती हैं, इसकी गहराई के बारे में आज भी शोध चल रहा हैं। लेकिन जब बात की जाए गर्भस्थ शिशु के सपनों के बारें में तो यह बहुत ही रोचक बात बन जाती हैं । हर कोई जानना चाहता हैं कि इसका ज़वाब क्या होगा। गर्भावस्था के दौरान एक माँ औऱ परिवार के सभी सदस्यों और सभी अध्ययनकर्ताओं के मन में भी यह सवाल हैं कि क्या कोई शिशु जो अभी तक गर्भ में ही है वो सपने देखता है? आइए जानते है जननम इसके बारे में क्या कहता है :-
जननम से जाने : क्या बच्चे गर्भ में सपने देखते हैं ?
अगर वैज्ञानिकों की माने तो अभी तक ऐसा कोई तरीका वर्तमान में हमारे पास मौजूद नहीं है जो हमें बता सके कि
क्या गर्भ में बच्चे सपने देखते हैं ? और यदि वो देखते हैं तो क्या सपने दखते हैं? लेकिन वैज्ञानिक बताते हैं कि गर्भवस्था के दौरान 23 सप्ताह के शिशु को गर्भ में आरईएम का अनुभव होना शुरू हो जाता है और उनकी आंखें वयस्क की तरह बढ़ने लगती हैं । आरईएम नींद की वह अवस्था होती हैं जब ज्यादातर मनुष्य सपने देखते हैं। इसी वजह से माना जाता हैं कि एक शिशु भी गर्भ में आरईएम नींद की स्थिति में जाता है तो हो सकता हैं कि नींद की इस स्थिति में वह भी सपने देखता हो ।
अब यदि हम बात करें कि एक अजन्मा शिशु नींद में क्या सपने देखता हैं? तो सपनों की दुनिया आज भी एक रहस्य
ही हैं जिस पर अध्ययन चल रहा हैं, ऐसे में सिर्फ यही तर्क दिया जा सकता है कि ज्यादातर मनुष्य वहीं सपने देखते हैं जो वो अपने आस पास देखते और सुनते हैं। तो एक गर्भस्थ शिशु भी अपनी माँ के द्वारा जो सुनता है शायद वही सब उसके सपने का एक हिस्सा होता होगा । लेकिन इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है ।
32 सप्ताह का शिशु 90 से 95 प्रतिशत तक सोता हैं और जिसमें से कुछ घंटे वो गहरी नींद में होता हैं तो कुछ घंटे आरईएम, जिसमें वो बाहरी आवाज़ें सुनता हैं , ऐसे में यह कहे पाना की गर्भवस्था के दौरान क्या एक गर्भस्थ शिशु सपने देखता है तो हम यही कहेंगे कि हाँ शायद गर्भस्थ शिशु सपने देखता हैं क्योंकि आरईएम निद्रा की वह अवस्था वह वयस्कों की तरह सपने देखने में सक्षम होता हैं। और वह यह भी जानता है कि वह क्या सपना देख रहा हैं।